THE FACT ABOUT MAIN MENU इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल नॉलेज झा?

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के आसपास का टाल्मी को ‘भूगोल’ (ज्योग्रफिका), प्लिनी की ‘नेचुरल हिस्टोरिका’ (ई. की प्रथम सदी) महत्त्वपूर्ण हैं। प्लिनी की ‘नेचुरल हिस्टोरिका‘ से भारतीय पशु, पेड़-पौधों एवं खनिज पदार्थों की जानकारी मिलती है। इसी प्रकार एरेलियन के लेख तथा कर्टियस, जस्टिन और स्ट्रैबो के विवरण भी प्राचीन भारत इतिहास के अध्ययन की सामग्रियाँ प्रदान करते हैं। ‘पेरीप्लस आफ द एरिथ्रियन सी’ ग्रंथ में भारतीय बंदरगाहों एवं व्यापारिक वस्तुओं का विवरण मिलता है।

दिल्ली सल्तनत के दौरान, निम्नलिखित राजवंश एक get more info के बाद एक फलते-फूलते रहे:

पूना सार्वजनिक सभा की स्थापना एमजी रानाडे ने की थी

भारतीय इतिहास : एक समग्र अध्ययन (गूगल पुस्तक ; लेखक - मनोज शर्मा)

पश्चिमी क्षत्रप साम्राज्य (३५–४०५ ईसवी)

हिन्दू साम्राज्यों और राजवंशों की सूची

वेदांग : वैदिक काल के अंत में वेदों के अर्थ को अच्छी तरह समझने के लिए छः वेदांगों की रचना की गई। वेदों के छः अंग हैं- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंदशास्त्र और ज्योतिष। वैदिक स्वरों का शुद्ध उच्चारण करने के लिए शिक्षाशास्त्र का निर्माण हुआ। जिन सूत्रों में विधि और नियमों का प्रतिपादन किया गया है, वे कल्पसूत्र कहलाते हैं। कल्पसूत्रों के चार भाग हैं- श्रौतसूत्र, गृहसूत्र, धर्मसूत्र और शुल्वसूत्र। श्रौतसूत्रों में यज्ञ-संबंधी नियमों का उल्लेख है। गृहसूत्रों में मानव के लौकिक और पारलौकिक कर्त्तव्यों का विवेचन है। धर्मसूत्रों में धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक कर्त्तव्यों का उल्लेख है। यज्ञ, हवन-कुंड, वेदी आदि के निर्माण का उल्लेख शुल्वसूत्र में किया गया है। व्याकरण-ग्रंथों में पाणिनि की अष्टाध्यायी महत्त्वपूर्ण है। ई.

चिश्तिया सूफी सम्प्रदाय एवं ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती

अकबर का मकबरा आगरा के पास सिकंदरा में जहाँगीर ने बनवाया था।

तुलुव वंश की स्थापना कृष्णदेव राय ने की थी

महात्मा गाँधी जी की जीवनी एवं प्रमुख सत्याग्रह आंदोलनों का संक्षिप्त वर्णन

पू. से चौथी शती ई. के मध्य माना जा सकता है।

 – प्रारंभिक हड़प्पा संस्कृति (३३००–२६०० ई.पू.)

चित्रकला से भी प्राचीन भारत के जन-जीवन की जानकारी मिलती है। अजन्ता के चित्रों में मानवीय भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति है। ‘माता और शिशु’ या ‘मरणशील राजकुमारी’ जैसे चित्रों से बौद्ध चित्रकला की कलात्मक पराकाष्ठा का प्रमाण मिलता है। एलोरा गुफाओं के चित्र एवं बाघ की गुफाएँ भी चित्रकला की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।

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